जो स्वतंत्र है वो शुद्ध है। जो परतंत्र है वो अशुद्ध है। अशुद्धि परतंत्रता से आती है। सबको स्वतंत्रता मिलना चाहिए। सबकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। सबकी स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए। दूसरों की स्वतंत्रता का सम्मान न करने का मतलब है की हम अपने विचारों के ग़ुलाम है। सबको अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिलना चाहिए। अभिव्यक्ति सिर्फ़ बोलकर या लिखकर नहीं होती, हमारे सारे क्रियाकालाप, हमारा नाचना, गाना, हँसना, रोना, क्रोधित होना, रूठना सब के सब हमारी अभिव्यक्ति का हिस्सा है। एक स्वतंत्र व्यक्ति के लिए समाज में हो रही कोई भी घटना सही अथवा ग़लत नहीं है, उसके लिए सबकुछ एक दिव्य लीला है। जब हम अपने विचारों के ग़ुलाम होते है तब हममें द्वन्द भाव पैदा होता है, दुनिया दो भागों में बट जाती है, आधी दुनिया सही और आधी दुनिया ग़लत। अतः अपने विचारों को पकड़कर नहीं रखना चाहिए। अपने से विचारों को बह देना चाहिए। नए विचारों को आने के लिए जगह देना चाहिए। ये संसार बहुत ही सुंदर है अगर हम ख़ुद स्वतंत्र बने और दूसरों की भी स्वतंत्रता का सम्मान करें। जीयो और जीने दो।
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