Friday, May 1, 2020

भगवद्गीता ४

अर्जुन बोले- हे कृष्ण! मनुष्य स्वयं न चाहता हुआ भी किससे प्रेरित होकर पाप का आचरण करता है?

श्रीभगवान बोले- रजोगुण से उत्पन्न यह काम और क्रोध ही वैरी है। यह भोगों से कभी न अघानेवाला और बड़ा पापी है।  मन, बुद्धि और इंद्रियों में स्थित यह काम ही ज्ञान को ढकके देहि को मोहित करता है। बुद्धि से श्रेष्ठ आत्मा को जानकर और बुद्धि के द्वारा मन को वश में करके हे महाबाहो! तू इस काम-रूप दुर्जय शत्रु को मार डाल।