Thursday, July 18, 2019

मैं

मैं शरीर ही हूँ। बचे हुए जीवन का लक्ष्य पूर्ण रूप से मानसिक शांति का प्राप्ति होना चाहिए। पूर्ण रूप से मानसिक शांति सम्भव है। मेरा कल्याण कोई और नहीं कर सकता है। ख़ुद मैं ही अपना कल्याण कर सकता हूँ। पूर्ण रूप से मानसिक शांति प्राप्त करने में ही मेरा कल्याण है। अतीत से सम्बंध ख़त्म करना होगा। मेरे ख़ुद के कल्याण में ही मेरे सारे सम्बन्धियों का कल्याण निहित है। लज्जा या संकोच का त्याग करना है। स्पष्टवादी बने। मन की उलझनों को ख़ुद ही सुलझाने का प्रयास करें। अपने ऊपर नकारात्मकता को हावी न होने दें। अपने नकारात्मक विचार किसी दूसरे के साथ साझा न करें। यथार्थदर्शी बनें। किसी का शोषण न करें। अपने क्रोध को नियंत्रण में रखें। दूसरों को समझने का प्रयास करें। जल्दीबाज़ी में कोई काम न करें। दूसरों की सहायता करें। यथासंभव अपना काम ख़ुद करें। किसी भी बात पर आँख मूँदकर विश्वास न करें। माता-पिता के आज्ञा का पालन करें। परिस्थितियों के सदुपयोग करने के कला का विकास करें। अपने मन के भावों और अनुभवों को व्यक्त करने का निरंतर प्रयास करें। जो बातें अपने अनुभव की न हो उसे न बोले।