Friday, April 24, 2020

भगवान

भगवान केवल एक ही है। सब भगवान का रूप है। भगवान न तो अच्छा हैं, न ही बुरा। भगवान सभी के लिए सम हैं। भगवान न ही किसी के मित्र है न ही शत्रु। किंतु जो प्रभु से सच्चा प्रेम करते हैं, प्रभु भी उनको मार्गदर्शन कराते रहते है ताकि वो किसी मुश्किल में न फ़सें। प्रभु के साक्षात्कार के लिए कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है। प्रभु सबके हृदय में विराजमान है। ख़ुद पर विश्वास होना चाहिए। किसी भी काम को जल्दीबाज़ी में न करें। भक्त के भावों की रक्षा के लिए भगवान का अवतरण होता है। एक-दूसरे पर विश्वास रूपी डोर ने ही सारे समाज को बुना हुआ है। जब हम किसी को धोखा देते है या किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाते है, तो हम समाज से अलग हो जाते है। और फिर व्यक्ति कुंठित महसूस करने लगता है। दूसरों को कष्ट केवल वही व्यक्ति पहुँचाता है जो स्वयं कष्ट में है।

भगवान सर्वत्र है। भगवान का विस्मरण असम्भव है। भगवान को छल और कपट पसंद नहीं है। अगर मैंने किसी को धोखा दिया, तो मैं ख़ुद अपने आप को माफ़ नही कर पाउँगा। यही व्यक्ति का स्वभाव है। व्यक्ति का प्रकृति ईश्वर की रचना है।

ईश्वर को हम जिस स्वरूप में सच्चे हृदय से चाहते है, वे उसी रूप में सुलभ है। एक बार में सिर्फ़ एक पर ही ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

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