- · किसी से अनुभव की पूछना और अनुभव की बात कहना-ये दोनों ही बढ़िया चीज नहीं है।
- · भगवान ने दो बातों पर विशेष जोर दिया है-एक तो जीवन-प्रयन्त साधन करना और दूसरा अंतकाल मे सावधान रहना।
- · सब कुछ परमात्मा ही है।
- · मेरे भीतर जो बोलने की आसक्ति है, कामना है, उसको पूरी करने के लिए प्रभु अनजान बनकर पूछते हैं।
- · संसार का जो स्वरूप दिखता है, वह तो प्रभु का स्वरूप है और संसार की जो चेष्टा है, वह सब प्रभु की लीला है।
- · जो महापुरुषों का अनुभव है, उसको हम पहले ही मान लें तो फिर दिखने लग जाएगा।
Renunciation is definitely necessary for spiritual attainment.
- First develop internal detachment and then renounce externally.
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