💦
सब कुछ भगवान् ही हैं‒इस वास्तविक बातको स्वीकार करनेके लिये न कोई ग्रन्थ पढ़ना है, न कोई ध्यान करना है!
💦
‘मैं’ और ‘मेरा’ को छोड़कर ‘तू’ और ‘तेरा’ को स्वीकार करना है। फिर ‘तेरा’ भी न रहे, प्रत्युत तू-ही-तू रह जाय।
💦
जो केवल परमात्माकी प्राप्ति चाहता है, उसको तत्काल प्राप्ति होती है। देरी उसको लगती है, जिसको इच्छाकी कमीके कारण देरी सह्य है।
💦
अगर भीतरसे संसार अच्छा लगता है, संसारकी लालसा है तो परमात्मप्राप्ति नहीं हो सकती।
💦
परमात्माकी प्यास हो तो जगत् लुप्त हो जाता है और जगत्की प्यास हो तो परमात्मा लुप्त हो जाते हैं।
No comments:
Post a Comment