करना तो दूसरोंके लिये है और जानना खुदको है । खुदको जान जाओ तो जानना बाकी नहीं रहेगा ।
परमात्माकी प्राप्ति हो गयी, तो फिर कुछ प्राप्त करना बाकी नहीं रहेगा ।
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